BaBa Ji

Saturday 15 April 2017

23 साल के इस स्कूल ड्रापआउट ने 4,000 करोड़ की कंपनी बना सबको आश्चर्यचकित कर दिया

एक प्रसिद्ध कहावत है होनहार बिरवान के होत चिकने पात अर्थात् किसी होनहार व्यक्ति की काबिलियत का पता बचपन में ही चल जाता है। इस कहावत को सिद्ध कर दिखाया है 23 वर्ष के एक बालक ने।

इस बालक ने गरीबी और संघर्ष को इतने करीब से देखा है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में मस्जिद मोठ इलाके में मकान का किराया भुगतान न करने की वजह से मकान मालिक ने उन्हें घर में प्रवेश करने नहीं देते और कई दिनों तक उन्हें सीढियों पर रात बितानी पड़ती थी।

17 साल की छोटी-सी उम्र में जब आम बच्चे बेहतर भविष्य के लिए खुद को तैयार कर रहे होते हैं, ऐसी उम्र में इस बालक ने एक ऐसा आइडिया लेकर आया, जिसे आज तक न किसी ने सुना था और न ही सोचा था।इतना ही नहीं इस आईडिया की बदौलत इतने कम उम्र में आज ये भारत के सफलतम कारोबारीओं की सूची में शामिल हैं।

जी हाँ हम बात कर रहें हैं, उड़ीसा के रितेश अग्रवाल की, जो कॉलेज तक की पढ़ाई न पूरी कर पाने के बावजूद महज 18 साल की उम्र में कम्पनी के CEO बन बैठे थे। कोडिंग में गहरी रुची की वजह से महज़ 8 साल की उम्र में ही इन्होने कोडिंग करनी शुरू कर दी थी। 16 वर्ष की उम्र में उनका चुनाव मुंबई स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में आयोजित एशियन साइंस कैंप के लिए किया गया। यह कैम्प एक वार्षिक संवाद मंच है जहां ऐशियाई मूल के छात्र किसी क्षेत्र विशेष की समस्याओं पर विचार-विमर्श कर विज्ञान और तकनीक की मदद से उसका हल ढूढ़ा करते हैं।

रितेश को ट्रेवल करने का बेहद शौक था। नए-नए शहरों में ठहरने के लिए वे हमेशा सस्तें होटल्स की खोज में रहते थे। कई शहरों में तो सस्ते होटल मिल ही नहीं पाते थे और यदि मिलते थे तो उन होटल्स की स्थिति बेहद ख़राब हुआ करती थी। इन हालातों से जूझते हुए रितेश के मन में एक ख्याल आया एक नया बिज़नस शुरू करने का। लेकिन उस वक़्त उन्हें बिल्कुल भी मालूम नहीं था कि उनका ये आईडिया बिलियन डॉलर का है।

रितेश के मन में विचार आया कि क्यों न एक ऐसा मॉडल बनाया जाए ताकि लोगों को रहने के लिए सस्ते में अच्छा होटल मिल जाए। इसी आईडिया के साथ महज 18 साल की उम्र में रितेश ने ‘ओरावल स्टेस’ नाम की एक कम्पनी खोली, जिसका उद्देश्य ट्रैवलर्स को छोटी या मध्य अवधि के लिए कम दामों पर कमरों को उपलब्ध करवाना था। सबसे ख़ास बात यह थी कि कमरे कोई भी आसानी से ऑनलाइन आरक्षित कर सकता था।

भारत में हालांकि ऑनलाइन आरक्षण की सुविधा उस समय मौजूद थी लेकिन बजट होटल्स चाहने वालों के लिए यह अनोखी पहल थी। कंपनी के शुरू होने के कुछ ही महीनों के अंदर उन्हें नए स्टार्टपस में निवेश करने वाली कंपनी वेंचरनर्सरी से 30 लाख का फंड भी प्राप्त हो गया। यह शुरुआती सफ़लता रितेश के हौसलों को एक नई उड़ान दी।

फंडिंग मिलने के बाद रितेश अपनी कंपनी का विस्तार करने को लेकर और सीरियस हो गए। इसी बीच थेल फाउनडेशन द्वारा संचालित वैश्विक प्रतियोगिता में भी उन्होंने बाज़ी मार ली और उन्हें फेलोशिप के रूप में लगभग 66 लाख की धनराशि प्राप्त हुई। इन सबों को मिला कर उन्होंने कंपनी को और अच्छे तरीके से शुरू किया। किन्तु दुर्भाग्यवश बिजनेस मॉडल आपेक्षित लाभ देने में असफल रहा और ‘ओरावेल स्टे’ धीरे-धीरे घाटे में चला गया।

फिर भी रितेश ने कभी हार न मानी और अपनी गलतियों को सुधारते हुए नए सिरे से ‘ओयो रूम्स’ की स्थापना की।
ओयो रूम्स का उद्देश्य अब सिर्फ ट्रैवलर्स को किसी होटल में कमरा मुहैया कराना भर नहीं रह गया। अब वह होटल के कमरों की और वहां मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं की गुणवता का भी ख्याल रखने लगे और इसके लिए कंपनी ने कुछ मानकों को भी निर्धारित किया।

यह आईडिया इतना दमदार था कि कुछ ही दिनों में लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स और डी स जी कंस्यूमर पार्टनर्स, सिंगापुर की तरफ से करीबन चार करोड़ रुपये मिले ताकि बिज़नेस का विस्तार किया जा सके। सिर्फ दस महीनों के बाद कंपनी का मूल्यांकन हुआ $80 मिलियन का हो गया और लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स ने सेकोईआ कैपिटल के साथ मिल कर रितेश की कंपनी में क़रीब 36 करोड़ रुपये और निवेश किये।

और फिर एक से बाद एक कई फंडिंगों की बदौलत आज ओयो रूम्स की वैल्यूएशन 4000 करोड़ के पार है।

जब ओयो का आईडिया देश में चलने लगा तो कई और कंपनियां इन्हीं मॉडल के साथ आगे आई। इसी कड़ी में जोसटल समूह द्वारा जो रूम्स सामने आया, जो ओयो को मौजूदा बाज़ार में टक्कर दे रहा था। किन्तु कुछ ही दिनों में ओयो की लोकप्रियता के सामने वो भी नहीं टिक पाया और ओयो रूम्स ने उसे भी खरीद लिया।

आज ओयो रूम्स 15000 से भी ज्यादा होटलो की श्रृंखला है और 1000000 कमरों के साथ देश की सबसे बड़ी आरामदेह एवं सस्ते दामों पर लागों को कमरा उपलब्ध कराने वाली कंपनी बन चुकी है। इतना ही नहीं रितेश अग्रवाल देश के सफल युवा उद्यमियों की कतार में शामिल हैं।

रितेश अग्रवाल उन युवा भारतीयों में से हैं जो मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखते लेकिन उनके सपने बड़े होते हैं। इन लोगों में ही भारत को वास्तविक महाशक्ति बनाने की क्षमता है।

2 comments:

Unknown said...

Wow....super....nice....

HEALTH CARE said...

D0NATE YOUR K1DNNEY WITH THE SUM OF $500,000.00 USD,WhatsApp for more details WhatsApp 91 8681996093
Email: hospitalcarecenter@gmail.com

Advertising

Featured post

Mrityunjay Singh: India's Youngest CEO biography in Hindi - Founder VihanApp ,VGM Lite

आज हम आपको मिलवायेंगे दुनिया के YOUNGEST CEO से। CEO (Chief Executive Officer) यानि किसी company का सबसे प्रमुख अधिकारी, कहने की बात नही...

Shoping , Boooking , Recharge

VGM News