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Friday 9 March 2018

A biography of A.P.J Abdul Kalam - A Grate Man

हमारे देश के ग्यारहवें राष्ट्रपति, एक ख्याति प्राप्त कुशल वैज्ञानिक, लेखक तथा युवा पीढ़ी के पथ प्रदर्शक, जी हाँ हम बात कर रहे हैं स्वर्गीय श्री ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी (A.P.J. Abdul Kalam) की, जो न जाने कितने ही लोगों के लिए प्रेरणा (Inspiration) बन गए |
ये एक उच्च विचारों वाले व्यक्ति थे जिन्होंने तमिलनाडु के छोटे से गाँव में जन्म लिया था | अपनी कड़ी तपस्या और उच्च सिद्धांतों के कारण ही वे इस मुकाम तक पहुंचे |
भारत के हर घर में उनका नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है, यहाँ का हर विद्यार्थी उनको अपना आदर्श (Idol) स्वरूप मानता है | इनके कई कथनों ने युवाओं को एक नई दिशा प्रदान की |
Dr. A.P.J. Abdul Kalaam Biography in Hindi
कलाम साहब की पुण्य तिथि (27 जुलाई 2015) भी आने को ही है तो आज हम उनके स्मरण में आपको उनके जीवन की विस्तृत जानकारी देंगे या यूँ कह लीजिये की हम आपको  ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की जीवनी (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Biography in Hindi) के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे |
हम आपको इस लेख द्वारा बताएँगे कि कैसे उन्होंने एक छोटे से गाँव से लेकर राष्ट्रपति बनने का अद्भुत सफ़र तय किया |

A.P.J. Abdul Kalam Autobiography in Hindi

A.P.J. Abdul Kalam का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के छोटे से गाँव में हुआ, जिसका नाम धनुषकोडी है | इस गाँव में वे अपने संयुक्त परिवार के साथ रहते थे | उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी | उनके पिता मछुआरों को नाव किराए पर देते थे तथा उनकी माता गृहिणी थीं |
A.P.J. Abdul Kalam साहब ने अपनी शिक्षा का आरम्भ रामेश्वरम के एक प्राथमिक विद्यालय से किया | कलाम साहब ने अपनी पढ़ाई पूरी करने व् घर की आर्थिक सहायता हेतु अख़बार बेचने का कार्य आरम्भ किया |
A.P.J. Abdul Kalam ने बारहवीं रामनाथपुरम में स्थित स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल (Schwartz Higher Secondary School) में सम्पन्न की | तत्पश्चात उन्होंने स्नातक की उपाधि  (Bachelor Degree) प्राप्त करने हेतु सैंट जोसफ कॉलेज (St. Joseph College) में दाखिला लिया जो तिरुचिराप्पल्ली में स्थित है | किन्तु यहाँ उनकी शिक्षा का अंत नहीं हुआ, उन्हें पढने व् सीखने का बहुत शौक था | वह आगे की पढ़ाई हेतु 1955 में मद्रास जा पहुंचे जहां से उन्होंने 1958 में अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की |
उनका सपना था कि वह भारतीय वायु सेना में फाइटर प्लेन के चालक यानि पायलट (Pilot) बन सकें, परन्तु यह पूर्ण न हो पाया, पर फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी |
इसके पश्चात उन्होंने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (DRDO) में प्रवेश किया जहां उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना का सफल संचालन किया | परन्तु DRDO में अपने कार्यों से संतुष्ट न होने के कारण उन्होंने इसे छोड़ दिया |
A.P.J. Abdul Kalam with Indian Army
इसके पश्चात उन्होंने 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में प्रवेश किया |
इसरो (ISRO) में A.P.J. Abdul Kalam ने कई परियोजनाओं का सफलतापूर्वक संचालन किया, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण था उनके द्वारा भारत के पहले उपग्रह “पृथ्वी” जिसे SLV3 भी कहा जा सकता है, का पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया जाना |
इस कार्य को Dr. A.P.J. Abdul Kalam ने 1980 में बहुत ही मेहनत तथा लगन के साथ संपन्न किया | उनकी इसी सफलता के बाद भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन पाया | इस दौर में वह इसरो (ISRO) में भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान परियोजना के निदेशक के पद पर नियुक्त थे |
इसरो के कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने और भी उपलब्धियां हासिल कीं जैसे – नासा की यात्रा, प्रसिद्ध वैज्ञानिक राजा रमन्ना के साथ मिलकर भारत का पहला परमाणु परीक्षण, गाइडेड मिसाइल्स को डिज़ाइन करना |
इन सबके पश्चात A.P.J. Abdul Kalam एक सफल तथा ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक (Scientist) बन चुके थे | 1981 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया | 1982 में वह पुन: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के निदेशक के रूप में विद्यमान हुए | अब उन्होंने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) की तरफ अपना ध्यान केन्द्रित किया |
Dr. A.P.J. Abdul Kalam को 1990 में फिर पद्म विभूषण से नवाज़ा गया | तत्पश्चात वे 1992 से लेकर 1999 तक के कार्यकाल में रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार के पद पर नियुक्त रहे, साथ ही वह सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव भी थे |
1997 में उनका भारत के प्रति योगदान देखते हुए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया | उन्हीं के नेतृत्व में 1998 में भारत ने अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया | कलाम साहब की ही देन है कि भारत आज परमाणु हथियार के निर्माण में सफल हो पाया है | इस दौर में वह भारत के सबसे प्रसिद्ध एवं सफल परमाणु वैज्ञानिक (Nuclear Scientist) थे |
APJ Abdul Kalam Biography in Hindi

2002 में उनके प्रति भारत की जनता में सम्मान देखते हुए, जीवन की उपलब्धियों तथा भारत के प्रति उनका लगाव देखते हुए एन. डी. ए. ने उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया | फलस्वरूप वह चुनाव में विजयी होकर 2002 में भारत के राष्ट्रपति (President) के रूप में हमारे सामने आये | उन्हें “जनता का राष्ट्रपति (People’s President)” कहकर संबोधित किया जाने लगा |
उनके इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई सभाएं संबोधित कीं जिनमें उन्होंने भारत के तथा यहाँ रह रहे युवाओं के भविष्य को बेहतर बनाने हेतु बातों पर जोर दिया |
यह तो हम सभी जानते हैं कि A.P.J. Abdul Kalam अपनी निजी ज़िंदगी में एक सरल तथा अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे | वे बच्चों से बहुत अधिक स्नेह करते थे, उन्हें हमेशा ऐसी सीख देते थे जो उनके भविष्य को बेहतर बनाने में सहायता करे |
वे राजनीतिक व्यक्ति नहीं थे, किन्तु राजनीति में रहकर वे देश के विकास के बारे में सोचते थे | वे जानते थे कि युवाओं का बेहतर विकास ही देश को आगे लेकर जा सकता है | वे चाहते थे कि परमाणु हथियारों के क्षेत्र में भारत एक बड़ी शक्ति के रूप में जाना जाए |
उनका कहना था कि “2000 वर्षों के इतिहास में भारत पर 600 वर्षों तक अन्य लोगों ने शासन किया है। यदि आप विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक है और शांति की स्थापना शक्ति से होती है। इसी कारण प्रक्षेपास्त्रों को विकसित किया गया ताकि देश शक्ति सम्पन्न हो।“
A.P.J. Abdul Kalam का राष्ट्रपति कार्यकाल 2007 में समाप्त हुआ | इसके पश्चात वह कई जगहों पर प्रोफेसर (Professor) के तौर पर कार्यरत रहे जैसे- शिलोंग, अहमदाबाद तथा इंदौर के भारतीय प्रबंधन संस्थानों, व् बैंगलोर के भारतीय विज्ञान संस्थान में |
उसके बाद वह अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering) के प्रोफेसर रहे | A.P.J. Abdul Kalam ने भारत के कई अन्य प्रसिद्ध शैक्षिक संस्थानों में भी अपना योगदान दिया |
APJ Abdul Kalam Biography in Hindi
आप में से शायद बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि वे गीता और कुरान, दोनों का अनुसरण करते थे | उन्हें भक्ति गीत सुनने का तथा वाद्य यन्त्र बजाने का भी बहुत शौक था | उनका लगाव भारत की संस्कृति (Tradition) के प्रति बहुत अधिक था |
27 जुलाई 2015 को ये “मिसाइल मैन (Missile Man)” हम सब को छोड़ कर चले गए तथा उनका जाना हमारे देश के लिए कभी पूर्ण न होने वाली क्षति (Loss) थी | कलाम साहब की मृत्यु की वजह दिल का दौरा था |
यह उस वक़्त हुआ जब वह शिलोंग के भारतीय प्रबंधन संस्थान में एक व्याख्यान (Lecture) दे रहे थे | 28 जुलाई को उन्हें दिल्ली में तथा 29 जुलाई को उन्हें मदुरै में श्रद्धांजलि (Tribute) दी गयी |
30 जुलाई को उन्हें उन्ही के नगर रामेश्वरम के पी करूम्बु ग्राउंड में पूरे सम्मान के साथ दफनाया गया तथा यहाँ उन्हें 3,50,000 से ज्यादा नागरिक श्रध्दांजलि देने पहुंचे |
शायद आप जानते नहीं होंगे की गूगल भी उनकी पुण्य तिथि पर अपने मुख्य पृष्ठ (Home Page) पर काला रिबन दिखा रहा था | भारत सरकार ने उनके सम्मान (Honor) में सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की |
संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वर्गीय डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के 79 वें जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस (World Student Day) के रूप में मनाया गया | उन्होंने युवाओं को प्रेरित (Inspire) करने हेतु कई किताबें लिखीं जो बहुत ही प्रभावशाली हैं – विंग्स ऑफ़ फायर, ए मैनिफेस्टो फॉर चेंज, इंस्पायरिंग थॉट्स, इत्यादि |
ये किताबें भी कलाम साहब ( Dr. A.P.J. Abdul Kalam) की तरह प्रेरणादायक (Inspirational) हैं |
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APJ Abdul Kalam Autobiography in Hindi
Dr. A.P.J. Abdul Kalam ऐसे शख्स थे जो एक ग़रीब परिवार से आये और अपनी मेहनत (Hard Work)और अनुशासन के कारण एक सफल वैज्ञानिक (Scientist), एक लोकप्रिय राष्ट्रपति तथा एक आदर्श प्रोफेसर बन गए |
अगर आप इनके जीवन का गहन अध्ययन करेंगे तो जान पाएंगे कि हालात को जिम्मेदार ठहराते हुए हार मानकर बैठने वाले लोग कभी आगे नहीं बढ़ते | विश्व भर के लोग, बच्चों के प्रति उनके स्नेह, उनकी सरलता तथा विनम्रता की प्रशंसा किया करते हैं | कलाम साहब में सीखने की भूख थी | इतनी विश्व प्रसिद्धि पाने के बाद भी वह बेहद सरल और साधारण इंसान थे |
इनकी एक कहावत है, ” “सबसे उत्तम कार्य क्या होता है? किसी इंसान के दिल को खुश करना, किसी भूखे को खाना देना, ज़रूरतमंद की मदद करना, किसी दुखियारे का दुख हल्का करना और किसी घायल की सेवा करना…” |

बाप से 1800 रूपये कर्ज लेकर लाखो का कारोबार खड़ा करने वाले मृत्युंजय सिंह की दिलचस्प कहानी । Founder Of VGM Lite And Toofyhub

यह कहानी 20 साल के एक ऐसे नौजवान के बारे में है जो बेहद कर्मठ, तेज-तर्रार और हर मुश्किल का डटकर सामना करने वाले लोगों के रूप में जाने जाते हैं। एक छोटे से शहर वाराणसी के मध्यम-वर्गीय परिवार में पले-बढ़े इस शख्स ने अपनी काबिलियत के दम पर भारतीय इंटरनेट जगत में सबको लोहा मनवाया और फिर पढ़ाई बीच में ही छोड़कर कारोबारी जगत में कदम रखते हुए लाखों रूपये की कंपनी की स्थापना कर डाली। भारतीय स्टार्टअप जगत के ‘बैड बॉय’ , 'नेट वॉयरस' और दूसरों नाम से अपनी अलग पहचान बनाने वाले इस शख्स ने अपनी ही बनाई कंपनी से इस्तीफा देने और फिर स्टाफ और पार्टनर के बीच लाखों रुपए के शेयर बांटने को लेकर कई बार सुर्ख़ियों में रहे।जी हाँ हम बात कर रहें हैं साइबर सिक्योरिटी वेबसाइट  मायसायबरस्क्यायड डाट कॉम  के भूतपूर्व फाउंडर और सीईओ मृत्युंजय सिंह के बारे में। उत्तर प्रदेश के वाराणसी  जिले में एक मध्यम-वर्गीय परिवार में पले-बढ़े मृत्युंजय बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे। स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद इन्होनें 2015 में हैकिंग सिखने के लिए रायपुर  में दाखिला लिया। नेतृत्व करने की क्षमता में निपुण, मृत्यंजय ने पुलिस डीपार्टमेंट में भी कार्य किया। मायसायबरस्क्यायड डाट कॉम जो हैकरों के लौये इन्होंने बनाया था इसे ये अपने भाई को सौप कर अलग हो गए ।कॉलेज में ही उन्होंने एक वन पोर्टल डाट कॉम नाम से एक ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की, जहाँ लोकल सर्च कर उनके नम्बर उपलब्ध कराए जाते थे। वन पोर्टल डॉट कॉम को बाइनरी एजु. का ऑफिशियल आर्काइव बनाया गया, हालांकि बाद में उसे बंद करने की नोटिस मिलते ही मृत्युन्जय ने कॉलेज छोड़ने का निश्चय ले लिया। कॉलेज छोड़ने के बाद उन्होंने अपने पापा से 1800 रुपये कर्ज लेकर एक आइडिया पर काम शुरू किये, जो बाद में मिलियन का सफ़र तय किया।कॉलेज छोड़ने के बाद उन्हें रायपुर में घर ढूंढने ने बड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा। और वो 2 दिन तक बिना खाये रहे पैसे के अभाव में । घर खोजने की समस्या से जूझते हुए उनके दिमाग में एक आइडिया आया। उन्होंने अपने इस आइडिया पर काम शुरू कर दिए और साल 2017 में इन्होनें वीजीएम लाइट नामक ब्राउज़र एप्प और टुफ़ीहब नामक सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट की स्थापना कर ली। जो दोनों ही दुनिया का सबसे छोटा मोबाइल ब्राउज़र और टुफ़ीहब दुनिया का सबसे छोटा सोसल नेटवर्किंग साइट बन गया जिनका साइज मात्र 100 केबी में था जिसे 1 महीने में ही 10 हजार से ज्यादा डाउनलोड किया गया इसके बाद फिर इन्होंने पीछे मुड़ के नहीं देखा ।इनका यह आइडिया बेहद कारगर साबित हुआ इसी दौरान इनका स्टार्टअप "स्टार्टअप यात्रा यूपी एडिशन 2017 - 2018" के लिए चुना गया जिसे मृत्युंजय ने उस स्टार्टअप इवेंट को जीत लिया और यूपी एडिशन के पहले विनर बन गए । उसके कुछ ही दिनी बाद आईआईएम कलकत्ता इनोवेसन पार्क ने इनके स्टार्टअप को भारत के शीर्ष3000 स्टार्टअप में जगह दिया । और कुछ ही दिनों में वे हर महीने एक से दो लाख रुपए की कमाई करने लगे। शुरूआती सफलता के बाद मृत्युन्जय सिंह  ने इसे देश भर में फैलाने का फैसला किया। उस वक़्त और भी दुसरे एप्प थे लेकिन वीजीएम लाइट और टुफ़ीहब  के बेहतर फीचर्स ने लोगों को आकर्षित करते हुए 4 महिने के भीतर ही अन्य एप्प  को पछाड़कर आगे निकल गया। हालांकि  धीरे-धीरे निवेशकों और ग्राहकों को लुभाते हुए कंपनी का वैल्यूएशन 50 लाख रुपए के पार हो गया। इनके एप्प को दूसरे देशों में भी पसंद किया जाने लगा | टुफ़ीहब जल्द ही फेसबुक को ठक्कर देने के लिए अपने नये वर्जन ला रहा जिसमे हम घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग कर सकेंगे औऱ साथ ही लाइव मूवी देख पाने के साथ ब्लॉगिंग कर पाएंगे । पेटियम और मेक माय ट्रिप व् बुक माय शो को भी ठक्कर देने के लिए अपनी खुद की सिस्टम ला रहा टुफ़ीहब के नए फ़ीचर में । और इसी के साथ टुफ़ीहब दुनिया का पहला ऐसा मैसेजिंग ऐप्प होगा जो चैटिंग के साथ ये सब फ़ीचर देगा । कंपनी की दिनों-दिन बढ़ती सफलता ने मृत्युन्जय सिंह को कॉर्पोरेट दुनिया का एक उभरता हुआ जगमगता सितारा के रूप में देखा जाने लगा। मृत्युन्जय सिंह जिन्होनें खुद की काबिलियत के दम पर मात्र 4 महीने के अंदर कंपनी को 2 मिलियन का निवेश दिलाया था ।
मृत्यंजय सिंह को टुफ़ीहब को बनाने के लिए पैसे की कमी पड़ गयी तो उसी समय फेसबुक पर उनकी मुलाकात मुम्बई के एक सिविल इंजीनियर राजेश से हुवा तो राजेश को इनका आईडिया बहुत पसंद आया और तुरंत ही मृत्युंजय की कंपनी में इन्वेस्ट जार दिया टुफ़ीहब को बनाने के लिए । राजेश  टुफ़ीहब के कोफॉउंडेर मेम्बर है और वो 50 साल के है ।
मृत्युन्जय सिंह आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है । मृत्युंजय के बहुत से आर्टिकल योरस्टोरी पर भी आ चुका है ।

Thursday 8 March 2018

मृत्युंजय सिंह की सफलता की कहानी , success story of Mrityunjay Singh Founder Toofyhub And VGM Lite

भरोसा खुद पर रखो तो ताकत का एहसास कराता है यदि उसी भरोसे को आप दूसरों पर रखेंगे तो कमजोरी बन जाएगी।
इस पर आधारित आज के बारे में हमारी कहानी साइबर सिक्योरिटी से पास मृत्युंजय सिंह की जो लोगों को दिखा दिया कि अगर इन्टरेस्ट और करने की इच्छा होती है तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है
ऐसी ही सोच रखने वाले मृत्युंजय सिंह ने अपनी सक्सेसफूल जॉब (पुलिस डिपार्टमेंट) को छोड़कर उस फील्ड में कदम रखा जिसका उनका बिल्कुल अनुभव नहीं था
उस फ़ील्ड में मृत्युंजय ने अपनी सफलता के ऐसे झंडे गाड़े कि आज उन्हें सक्सेसफुल एंटरप्रेनर की लिस्ट में लाकर खड़ा कर दिया।
आज उनकी कंपनी वीजीएम लाइट और टूफ़ीहब (कोबरा ऑनलाइन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड) लाखों का व्यापार करती है जो अपने आप में एक दिलचस्प बात है। तो चलिए पता करते है-
मृत्युंजय सिंह के बारे में उन्होंने कैस खड़ी कर दी लाखों टर्नओवर करने वाली कंपनी ।
जॉब से वीजीएम लाइट और टूफ़ीहब तक का सफर -
मृत्युंजय सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। मृत्युंजय सिंह बचपन से ही अपने स्कूल और अपनी उम्र के बच्चों से काफी हौसले और पढ़ाई में अच्छा होनहार बच्चों में से एक थे। लेकिन मृत्युंजय सिंह को विज्ञान और मैथ आज तक नही आया और अंग्रेजी भी उनकी ना के बराबर थी ।
मृत्युंजय सिंह ने बचपन से ही कंप्यूटर में रुचि लेने लग गए थे लेकिन मृत्युंजय सिंह की बचपन की सबसे विशिष्ट बात यह है कि वह कंप्यूटर पर गेम या कुछ एंटरटेनिंग वीडियो देखने के बजाय कुछ इंटररेस्टिंग सीखना प्रोग्रामिंग करने में लगे रहते थे और बच्चों के बजाय मृत्युंजय पीसी में गेम खेलना नही, गेम बनाने में रुचि लेते थे ।
सबसे दिलचस्प बात मृत्युंजय सिंह, अन्य बच्चे जिस युग में कंप्यूटर पर गेम खेलने में रुचि दिखाते हैं। वही मृत्युंजय महज 15 साल की आयु में ही प्रोग्रामिंग करने लग गए थे। मृत्युंजय का स्कूल पूरा होते होते वह पूरी तरह प्रोग्रामिंग में माहिर हो चुके थे।
मृत्युंजय सिंह ने कंप्यूटर पर थोड़ी बहुत हैकिंग सीखकर अपने पापा का फ़ोन हैक कर लिया जिससे वो बहुत प्रभावित हुवे ।मृत्युंजय को उनके दोस्त और रिस्तेदार उनको कंप्यूटर कीड़ा और बैड बॉय आदी नामो से बुलाते थे ।
मृत्युंजय ने अपने स्कूल पढ़ाई को कॉम्पलीट करने के बाद उन्होंने रायपुर हैकिंग में एडमिशन लिया। लेकिन उनके माता-पिता से उन्हें सब्जेक्ट हैकिंग से खुश नहीं थे वह मृत्युंजय को उनके इन्टरेस्ट के आकॉर्डिंग कंप्यूटर साइंस को दिलाना चाहता था। इसी दौरान मृत्युंजय सिंह ने अपनी इन्टरेस्ट यानी उस प्रोग्रामिंग में काफी सुधार किया।
कॉलेज के समय में मृत्युंजय अपनी स्किल्स का उपयोग करके मॉडल तैयार करने में किया करते थे। वह इस चीज में इतनी माहिर हो गए थे कि वह अपने क्लासमैट और दोस्त के लिए मॉडल बनाया दिया करते था। इस काम ने मृत्युंजय को एंड्रॉइड और ios की ओर आकर्षित किया ।
एक बार में कॉलेज के दिनों में मृत्युंजय ने इंटरनेट और स्टार्टअप कैसे शुरू करते है पर एक आर्टिकल पड़ा तब उनके जेहन में स्टार्टअप करने की तीव्र इच्छा हुई थी। इसी के चलते मृत्युंजय ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान 3 4 स्टार्टअप मैं भी हाथ अजमाया। लेकिन तब व्यापार के अनुभव का अभाव से यह स्टार्टअप व्यवसाय मैं नहीं बदल सकता है। लेकिन इन स्टार्टअप चलने में मृत्युंजय को काफी कुछ सीखने का मौका मिला जो आगे चलकर उनका बहुत काम आने वाला था।
वैसे तो अगर देखा जाए तो मृत्युंजय का बिना अनुभव का यह क्षेत्र उतरना एक जोखिम भरा फैसला था लेकिन कुछ अच्छे काम करने के लिए हर इंसान को कभी न कभी रीस्क लेना ही होगा। ठीक वैसा ही मृत्युंजय सिंह ने किया मृत्युंजय को खुद पर भरोसा था कि वह कुछ बेहतर कर सकते है इसी के चलते वे बहुत सारे बुक्स और इंटरनेट से जानकारी कलेक्ट किया और जॉब के साथ ही इस पर काम  करने लगे। मृत्युंजय सिंह का मकसद ई-कॉमर्स, डिजिटल पेमेंट और मैसेजिंग के लिए एक प्लेटफार्म तैयार करना है जिसके द्वारा उपयोगकर्ता को अपनी स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए यूज कर सकें।
करीब 5 महीने की कड़ी मेहनत के बाद में मृत्युंजय एक अच्छे और कई फीचर वाले उत्पाद बनाने में सफल हुए। और 2017 में वीजीएम लाइट और टूफ़ीहब नाम का एप्लिकेशन लॉन्च किया गया।
मृत्युंजय सिंह की सैलरी और अपना पिताजी से 1800 रुपये के कर्ज से शुरू इस कंपनी ने कुछ ही महीनों के बाद ही अच्छा टर्नओवर करना शुरू किया।
मृत्युंजय ने अपनी नौकरी छोड़कर अपना पूरा ध्यान और समय इस कंपनी को शुरू करना शुरू किया। इसी के चलते जनवरी 2018 में मृत्युंजय सिंह की कंपनी वीजीएम लाइट को "स्टार्टअप यात्रा यूपी एडीशन 2018" के लिए चुना गया था और उन्हें विजेता भी बनाया गया ।और साथ मे आईआईएम कलकत्ता इनोव्हेशन पार्क ने उन्हें भारत के शीर्ष 3000 स्टार्टअप के लिए चयन किया गया जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी मृत्युंजय सिंह की कंपनी के लिए ।
वीजीएम लाइट: - जो सबसे छोटी मोबाइल इंटरनेट मोबाइल ब्राउज़र है जिसका साइज 600 केबी है, जिसमे यूजर फ़ास्ट और सिंपल और सिक्योर तरीके से ब्राउज़िंग कर सकता है ।
Toofyhub: - दुनिया की सबसे छोटी इंटरनेट सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट है जिसका साइज 100 केबी है। जिसमें उपयोगकर्ता ब्लॉगिंग करने के साथ साथ लाइव मूवी देख सकते हैं । मृत्युंजय सिंह को इस एप्प को बनाने के लिए पैसे नही थे तभी फेसबुक के जरिये उनकी मुलाकात मुम्बई के एक सिविल इंजिनर राजेश से हुवा जो खुद भी इंडिया के लिए खुद का सोशल नेटवर्किंग साइट बनाना चाहते थे । जब मृत्युंजय ने अपने आईडिया के बारे में उन्हें बताया तो उनको ये आईडिया बहुत पसंद आया और तुरंत ही हामी भर दी और मृत्युंजय को इन्होंने फाइनेंस किया इस एप्प के लिए ।
इस उपलब्धी के लिए कइ बार मृत्युंजय सिंह का नाम न्यूजपेपार में भी आया और इनके कई आर्टिकल योरस्टोरी पर भी है ।
इनका यह आइडिया बेहद प्रभावी साबित हुआ और कुछ ही दिनों में वे हर महीने एक से दो लाख रुपये की कमाई शुरू कर रहे हैं। शुरुआती सफलता के बाद मृत्युंजय सिंह ने देश भर में फैलाव करना फैसला किया। उस वक़्त और भी अन्य एप्प थे लेकिन वीजीएम लाइट और टूफ़ीहब के बेहतर फीचर्स ने लोगों को आकर्षित करने के दौरान 6 महीने के भीतर ही अन्य ऐप को पछड़ कर आगे निकल गया। धीरे-धीरे निवेशकों और ग्राहकों को लुभाते लुभाते इस एप्प में कई इन्वेस्टर पैसा लगाने में इच्छुक हैं।
वीजीएम लाइट और टूफ़ाउब अन्य देशों में भी पसंद किया जा रहा है ।


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