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Thursday 8 March 2018

मृत्युंजय सिंह की सफलता की कहानी , success story of Mrityunjay Singh Founder Toofyhub And VGM Lite

भरोसा खुद पर रखो तो ताकत का एहसास कराता है यदि उसी भरोसे को आप दूसरों पर रखेंगे तो कमजोरी बन जाएगी।
इस पर आधारित आज के बारे में हमारी कहानी साइबर सिक्योरिटी से पास मृत्युंजय सिंह की जो लोगों को दिखा दिया कि अगर इन्टरेस्ट और करने की इच्छा होती है तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है
ऐसी ही सोच रखने वाले मृत्युंजय सिंह ने अपनी सक्सेसफूल जॉब (पुलिस डिपार्टमेंट) को छोड़कर उस फील्ड में कदम रखा जिसका उनका बिल्कुल अनुभव नहीं था
उस फ़ील्ड में मृत्युंजय ने अपनी सफलता के ऐसे झंडे गाड़े कि आज उन्हें सक्सेसफुल एंटरप्रेनर की लिस्ट में लाकर खड़ा कर दिया।
आज उनकी कंपनी वीजीएम लाइट और टूफ़ीहब (कोबरा ऑनलाइन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड) लाखों का व्यापार करती है जो अपने आप में एक दिलचस्प बात है। तो चलिए पता करते है-
मृत्युंजय सिंह के बारे में उन्होंने कैस खड़ी कर दी लाखों टर्नओवर करने वाली कंपनी ।
जॉब से वीजीएम लाइट और टूफ़ीहब तक का सफर -
मृत्युंजय सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। मृत्युंजय सिंह बचपन से ही अपने स्कूल और अपनी उम्र के बच्चों से काफी हौसले और पढ़ाई में अच्छा होनहार बच्चों में से एक थे। लेकिन मृत्युंजय सिंह को विज्ञान और मैथ आज तक नही आया और अंग्रेजी भी उनकी ना के बराबर थी ।
मृत्युंजय सिंह ने बचपन से ही कंप्यूटर में रुचि लेने लग गए थे लेकिन मृत्युंजय सिंह की बचपन की सबसे विशिष्ट बात यह है कि वह कंप्यूटर पर गेम या कुछ एंटरटेनिंग वीडियो देखने के बजाय कुछ इंटररेस्टिंग सीखना प्रोग्रामिंग करने में लगे रहते थे और बच्चों के बजाय मृत्युंजय पीसी में गेम खेलना नही, गेम बनाने में रुचि लेते थे ।
सबसे दिलचस्प बात मृत्युंजय सिंह, अन्य बच्चे जिस युग में कंप्यूटर पर गेम खेलने में रुचि दिखाते हैं। वही मृत्युंजय महज 15 साल की आयु में ही प्रोग्रामिंग करने लग गए थे। मृत्युंजय का स्कूल पूरा होते होते वह पूरी तरह प्रोग्रामिंग में माहिर हो चुके थे।
मृत्युंजय सिंह ने कंप्यूटर पर थोड़ी बहुत हैकिंग सीखकर अपने पापा का फ़ोन हैक कर लिया जिससे वो बहुत प्रभावित हुवे ।मृत्युंजय को उनके दोस्त और रिस्तेदार उनको कंप्यूटर कीड़ा और बैड बॉय आदी नामो से बुलाते थे ।
मृत्युंजय ने अपने स्कूल पढ़ाई को कॉम्पलीट करने के बाद उन्होंने रायपुर हैकिंग में एडमिशन लिया। लेकिन उनके माता-पिता से उन्हें सब्जेक्ट हैकिंग से खुश नहीं थे वह मृत्युंजय को उनके इन्टरेस्ट के आकॉर्डिंग कंप्यूटर साइंस को दिलाना चाहता था। इसी दौरान मृत्युंजय सिंह ने अपनी इन्टरेस्ट यानी उस प्रोग्रामिंग में काफी सुधार किया।
कॉलेज के समय में मृत्युंजय अपनी स्किल्स का उपयोग करके मॉडल तैयार करने में किया करते थे। वह इस चीज में इतनी माहिर हो गए थे कि वह अपने क्लासमैट और दोस्त के लिए मॉडल बनाया दिया करते था। इस काम ने मृत्युंजय को एंड्रॉइड और ios की ओर आकर्षित किया ।
एक बार में कॉलेज के दिनों में मृत्युंजय ने इंटरनेट और स्टार्टअप कैसे शुरू करते है पर एक आर्टिकल पड़ा तब उनके जेहन में स्टार्टअप करने की तीव्र इच्छा हुई थी। इसी के चलते मृत्युंजय ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान 3 4 स्टार्टअप मैं भी हाथ अजमाया। लेकिन तब व्यापार के अनुभव का अभाव से यह स्टार्टअप व्यवसाय मैं नहीं बदल सकता है। लेकिन इन स्टार्टअप चलने में मृत्युंजय को काफी कुछ सीखने का मौका मिला जो आगे चलकर उनका बहुत काम आने वाला था।
वैसे तो अगर देखा जाए तो मृत्युंजय का बिना अनुभव का यह क्षेत्र उतरना एक जोखिम भरा फैसला था लेकिन कुछ अच्छे काम करने के लिए हर इंसान को कभी न कभी रीस्क लेना ही होगा। ठीक वैसा ही मृत्युंजय सिंह ने किया मृत्युंजय को खुद पर भरोसा था कि वह कुछ बेहतर कर सकते है इसी के चलते वे बहुत सारे बुक्स और इंटरनेट से जानकारी कलेक्ट किया और जॉब के साथ ही इस पर काम  करने लगे। मृत्युंजय सिंह का मकसद ई-कॉमर्स, डिजिटल पेमेंट और मैसेजिंग के लिए एक प्लेटफार्म तैयार करना है जिसके द्वारा उपयोगकर्ता को अपनी स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए यूज कर सकें।
करीब 5 महीने की कड़ी मेहनत के बाद में मृत्युंजय एक अच्छे और कई फीचर वाले उत्पाद बनाने में सफल हुए। और 2017 में वीजीएम लाइट और टूफ़ीहब नाम का एप्लिकेशन लॉन्च किया गया।
मृत्युंजय सिंह की सैलरी और अपना पिताजी से 1800 रुपये के कर्ज से शुरू इस कंपनी ने कुछ ही महीनों के बाद ही अच्छा टर्नओवर करना शुरू किया।
मृत्युंजय ने अपनी नौकरी छोड़कर अपना पूरा ध्यान और समय इस कंपनी को शुरू करना शुरू किया। इसी के चलते जनवरी 2018 में मृत्युंजय सिंह की कंपनी वीजीएम लाइट को "स्टार्टअप यात्रा यूपी एडीशन 2018" के लिए चुना गया था और उन्हें विजेता भी बनाया गया ।और साथ मे आईआईएम कलकत्ता इनोव्हेशन पार्क ने उन्हें भारत के शीर्ष 3000 स्टार्टअप के लिए चयन किया गया जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी मृत्युंजय सिंह की कंपनी के लिए ।
वीजीएम लाइट: - जो सबसे छोटी मोबाइल इंटरनेट मोबाइल ब्राउज़र है जिसका साइज 600 केबी है, जिसमे यूजर फ़ास्ट और सिंपल और सिक्योर तरीके से ब्राउज़िंग कर सकता है ।
Toofyhub: - दुनिया की सबसे छोटी इंटरनेट सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट है जिसका साइज 100 केबी है। जिसमें उपयोगकर्ता ब्लॉगिंग करने के साथ साथ लाइव मूवी देख सकते हैं । मृत्युंजय सिंह को इस एप्प को बनाने के लिए पैसे नही थे तभी फेसबुक के जरिये उनकी मुलाकात मुम्बई के एक सिविल इंजिनर राजेश से हुवा जो खुद भी इंडिया के लिए खुद का सोशल नेटवर्किंग साइट बनाना चाहते थे । जब मृत्युंजय ने अपने आईडिया के बारे में उन्हें बताया तो उनको ये आईडिया बहुत पसंद आया और तुरंत ही हामी भर दी और मृत्युंजय को इन्होंने फाइनेंस किया इस एप्प के लिए ।
इस उपलब्धी के लिए कइ बार मृत्युंजय सिंह का नाम न्यूजपेपार में भी आया और इनके कई आर्टिकल योरस्टोरी पर भी है ।
इनका यह आइडिया बेहद प्रभावी साबित हुआ और कुछ ही दिनों में वे हर महीने एक से दो लाख रुपये की कमाई शुरू कर रहे हैं। शुरुआती सफलता के बाद मृत्युंजय सिंह ने देश भर में फैलाव करना फैसला किया। उस वक़्त और भी अन्य एप्प थे लेकिन वीजीएम लाइट और टूफ़ीहब के बेहतर फीचर्स ने लोगों को आकर्षित करने के दौरान 6 महीने के भीतर ही अन्य ऐप को पछड़ कर आगे निकल गया। धीरे-धीरे निवेशकों और ग्राहकों को लुभाते लुभाते इस एप्प में कई इन्वेस्टर पैसा लगाने में इच्छुक हैं।
वीजीएम लाइट और टूफ़ाउब अन्य देशों में भी पसंद किया जा रहा है ।


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