यह कहानी 20 साल के एक ऐसे नौजवान के बारे में है जो बेहद कर्मठ, तेज-तर्रार और हर मुश्किल का डटकर सामना करने वाले लोगों के रूप में जाने जाते हैं। एक छोटे से शहर वाराणसी के मध्यम-वर्गीय परिवार में पले-बढ़े इस शख्स ने अपनी काबिलियत के दम पर भारतीय इंटरनेट जगत में सबको लोहा मनवाया और फिर पढ़ाई बीच में ही छोड़कर कारोबारी जगत में कदम रखते हुए लाखों रूपये की कंपनी की स्थापना कर डाली। भारतीय स्टार्टअप जगत के ‘बैड बॉय’ , 'नेट वॉयरस' और दूसरों नाम से अपनी अलग पहचान बनाने वाले इस शख्स ने अपनी ही बनाई कंपनी से इस्तीफा देने और फिर स्टाफ और पार्टनर के बीच लाखों रुपए के शेयर बांटने को लेकर कई बार सुर्ख़ियों में रहे।जी हाँ हम बात कर रहें हैं साइबर सिक्योरिटी वेबसाइट
मायसायबरस्क्यायड डाट कॉम के भूतपूर्व फाउंडर और सीईओ मृत्युंजय सिंह के बारे में। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में एक मध्यम-वर्गीय परिवार में पले-बढ़े मृत्युंजय बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे। स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद इन्होनें 2015 में हैकिंग सिखने के लिए रायपुर में दाखिला लिया। नेतृत्व करने की क्षमता में निपुण, मृत्यंजय ने पुलिस डीपार्टमेंट में भी कार्य किया। मायसायबरस्क्यायड डाट कॉम जो हैकरों के लौये इन्होंने बनाया था इसे ये अपने भाई को सौप कर अलग हो गए ।कॉलेज में ही उन्होंने एक वन पोर्टल डाट कॉम नाम से एक ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की, जहाँ लोकल सर्च कर उनके नम्बर उपलब्ध कराए जाते थे। वन पोर्टल डॉट कॉम को बाइनरी एजु. का ऑफिशियल आर्काइव बनाया गया, हालांकि बाद में उसे बंद करने की नोटिस मिलते ही मृत्युन्जय ने कॉलेज छोड़ने का निश्चय ले लिया। कॉलेज छोड़ने के बाद उन्होंने अपने पापा से 1800 रुपये कर्ज लेकर एक आइडिया पर काम शुरू किये, जो बाद में मिलियन का सफ़र तय किया।कॉलेज छोड़ने के बाद उन्हें रायपुर में घर ढूंढने ने बड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा। और वो 2 दिन तक बिना खाये रहे पैसे के अभाव में । घर खोजने की समस्या से जूझते हुए उनके दिमाग में एक आइडिया आया। उन्होंने अपने इस आइडिया पर काम शुरू कर दिए और साल 2017 में इन्होनें वीजीएम लाइट नामक ब्राउज़र एप्प और टुफ़ीहब नामक सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट की स्थापना कर ली। जो दोनों ही दुनिया का सबसे छोटा मोबाइल ब्राउज़र और टुफ़ीहब दुनिया का सबसे छोटा सोसल नेटवर्किंग साइट बन गया जिनका साइज मात्र 100 केबी में था जिसे 1 महीने में ही 10 हजार से ज्यादा डाउनलोड किया गया इसके बाद फिर इन्होंने पीछे मुड़ के नहीं देखा ।इनका यह आइडिया बेहद कारगर साबित हुआ इसी दौरान इनका स्टार्टअप "स्टार्टअप यात्रा यूपी एडिशन 2017 - 2018" के लिए चुना गया जिसे मृत्युंजय ने उस स्टार्टअप इवेंट को जीत लिया और यूपी एडिशन के पहले विनर बन गए । उसके कुछ ही दिनी बाद आईआईएम कलकत्ता इनोवेसन पार्क ने इनके स्टार्टअप को भारत के शीर्ष3000 स्टार्टअप में जगह दिया । और कुछ ही दिनों में वे हर महीने एक से दो लाख रुपए की कमाई करने लगे। शुरूआती सफलता के बाद मृत्युन्जय सिंह ने इसे देश भर में फैलाने का फैसला किया। उस वक़्त और भी दुसरे एप्प थे लेकिन वीजीएम लाइट और टुफ़ीहब के बेहतर फीचर्स ने लोगों को आकर्षित करते हुए 4 महिने के भीतर ही अन्य एप्प को पछाड़कर आगे निकल गया। हालांकि धीरे-धीरे निवेशकों और ग्राहकों को लुभाते हुए कंपनी का वैल्यूएशन 50 लाख रुपए के पार हो गया। इनके एप्प को दूसरे देशों में भी पसंद किया जाने लगा | टुफ़ीहब जल्द ही फेसबुक को ठक्कर देने के लिए अपने नये वर्जन ला रहा जिसमे हम घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग कर सकेंगे औऱ साथ ही लाइव मूवी देख पाने के साथ ब्लॉगिंग कर पाएंगे । पेटियम और मेक माय ट्रिप व् बुक माय शो को भी ठक्कर देने के लिए अपनी खुद की सिस्टम ला रहा टुफ़ीहब के नए फ़ीचर में । और इसी के साथ टुफ़ीहब दुनिया का पहला ऐसा मैसेजिंग ऐप्प होगा जो चैटिंग के साथ ये सब फ़ीचर देगा । कंपनी की दिनों-दिन बढ़ती सफलता ने मृत्युन्जय सिंह को कॉर्पोरेट दुनिया का एक उभरता हुआ जगमगता सितारा के रूप में देखा जाने लगा। मृत्युन्जय सिंह जिन्होनें खुद की काबिलियत के दम पर मात्र 4 महीने के अंदर कंपनी को 2 मिलियन का निवेश दिलाया था ।
मृत्यंजय सिंह को टुफ़ीहब को बनाने के लिए पैसे की कमी पड़ गयी तो उसी समय फेसबुक पर उनकी मुलाकात मुम्बई के एक सिविल इंजीनियर राजेश से हुवा तो राजेश को इनका आईडिया बहुत पसंद आया और तुरंत ही मृत्युंजय की कंपनी में इन्वेस्ट जार दिया टुफ़ीहब को बनाने के लिए । राजेश टुफ़ीहब के कोफॉउंडेर मेम्बर है और वो 50 साल के है ।
मृत्युन्जय सिंह आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है । मृत्युंजय के बहुत से आर्टिकल योरस्टोरी पर भी आ चुका है ।
मृत्यंजय सिंह को टुफ़ीहब को बनाने के लिए पैसे की कमी पड़ गयी तो उसी समय फेसबुक पर उनकी मुलाकात मुम्बई के एक सिविल इंजीनियर राजेश से हुवा तो राजेश को इनका आईडिया बहुत पसंद आया और तुरंत ही मृत्युंजय की कंपनी में इन्वेस्ट जार दिया टुफ़ीहब को बनाने के लिए । राजेश टुफ़ीहब के कोफॉउंडेर मेम्बर है और वो 50 साल के है ।
मृत्युन्जय सिंह आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है । मृत्युंजय के बहुत से आर्टिकल योरस्टोरी पर भी आ चुका है ।
1 comment:
बहुत मोटिवेशन से भरी हुई कहानी है | इसे पढ़कर मुझे भी बहुत ज्यादा मोटिवेशन मिला है | बहुत-बहुत धन्यवाद आपका | ऐसे ही कंटेंट पोस्ट करते रहिए |
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